वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग, पार से उपहार शिविर<br />१९ मई २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />जिस तन लगिया इश्क़ कमाल, नाचे बेसुर ते बेताल।<br />दरदमंद नूं कोई न छेड़े, जिसने आपे दुःख सहेड़े,<br />जम्मणा जीणा मूल उखेड़े, बूझे अपणा आप खिआल।<br />~ बाबा बुल्लेशाह<br /><br />प्रसंग:<br />बाबा बुल्लेशाह किस इश्क की बात कर रहे है ?<br />इस काफी का मर्म क्या है ?<br />"जम्मणा जीणा मूल उखेड़े, बूझे अपणा आप खिआल" बाबा बुल्लेशाह यहाँ क्या बताना चाह रहे है?<br />"आपे दुःख सहेड़े" से क्या आशय है?